

वन संपदा हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है: देवराज कौशल | धर्मशाला वृत्त में दो हज़ार हेक्टेयर में बारह लाख पौधे लगाए गए |
धर्मशाला के मुख्य वन संरक्षक देवराज कौशल ने आपका फैसला टीवी से बातचीत करते हुए पौधरोपण के महत्व को बेहतरीन तरीके से समझाया. उन्होंने पौधरोपण में नागरिकों की सहभागिता को महत्वपूर्ण बताया जानिए वन विभाग की नीतियों और प्राथमिकताओं को जानने के लिए आप का फैसला टीम मुख्य अरण्य संरक्षक देवराज कौशल के पास पहुंची. जिला कांगड़ा ब्यूरो चीफ सन्नी महाजन के साथ खास बातचीत के दौरान देवराज कौशल ने कहा कि 2021-22 का प्लांटेशन सीजन जोरों पर चला हुआ है. मुख्य वन संरक्षक देवराज कौशल ने कहा लोगों का पौधा रोपण में ज्यादा से ज्यादा योगदान रहे और लगाए गए पौधों का सरंक्षण हो इसी लिए सरकार और विभाग के लोगों को इस अभियान से जोड़ने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश रहती है. उन्होंने कहा कि इस प्लांटेशन सीजन में 134 हेक्टेयर में 154000 पौधों का पौधारोपण किया गया है. इस बार पौधरोपण के अभियान में रेड क्रॉस हिमाचल को साथ में जोड़ा गया है तथा तकरीबन 10 हजार पौधे रेडक्रॉस हिमाचल के साथ मिलकर विभाग ने 12 हेक्टेयर भूमि में लगाए गए हैं. देवराज कौशल ने कहा यह सभी जंगल लोगों की ही संपत्ति है और और विभाग की कोशिश है कि विभाग की सरकारी योजनाएं हैं को लोगों तक सही माध्यम से पहुंच जाए. उन्होंने लोगों से अपील की कि लोग जंगलों के सरंक्षण और साइंटिफिक मैनेजमेंट के लिए ज्यादा से ज्यादा आगे आयें. अकेले धर्मशाला वन वृत्त में 2000 हेक्टेयर भूमि में 12 लाख पौधे लगाए गए. जंगलों में जैव विविधता बनी रहे इसीलिए विभिन्न प्रकार के पौधे जंगलों में लगाए जाते हैं. विभाग द्वारा नर्सरी एक साल पहले ही तैयार की जाती है जिसमें 22 लाख पौधे इस साल रोपण के लिए तैयार किए गए. जंगलों में जंगली जानवरों के लिए भी विभाग अपने विभिन्न प्रकार और जातियों के पौधे लगाए हैं ताकि जंगली जानवर भी अपना पोषण इन पौधों से कर सकें.
भू सरंक्षण को प्राथमिकता देते हुए देवराज ने कहा कहा कि एक इंच मिट्टी की परत जमने में कई वर्ष लग जाते हैं और इसी को देखते भू सरंक्षण के लिए भी विभाग विभिन्न परियोजनाओं को अमल में लाता है.वनों के फायदे गिनाते हुए कौशल कहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण से भूमि कटान का खतरा कम हो जाता है और कृषि योग्य भूमि बची रहती है, नतीजन की ज्यादा से ज्यादा फसलें पैदा कर सकता है. डी आर कौशल ने चिंता जताते हुए कहा कि हर साल जंगलों का घनत्व और जैव विविधता की कमी के चलते नदी नालों में पानी की कमी हो रही है और जल के स्रोत सूख रहे हैं, जो एक चिंता का विषय है. वन विभाग की पूरी कोशिश यही रहती है कि जंगलों में ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण हो और ज्यादा से ज्यादा जैव विभिन्नता बनी रहे, जिससे शुद्ध पानी के स्त्रोतों में इजाफा हो. कौशल कहते हैं कि वनों से ही हॉर्टिकल्चर और कृषि संभव है. वन संपदा से ही प्रदेश को आर्थिक लाभ मिलता है और हिमाचल जैसे प्रदेश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है.