

महान व्यक्तित्व के स्वामी थे जीएस बाली
धर्मशाला | सन्नी महाजन
जिला कांगड़ा ने एक जबरदस्त नेता हमेशा के लिए खो दिया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली का रविवार को चामुंडा नन्दिकेश्वर धाम में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके बेटे रघुबीर सिंह बाली ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग चामुंडा घाट पर पहुंचे और अपने चहेते नेता को अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी. इस से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री जीएस बाली की पार्थिव देह को रविवार को नगरोटा बगवां ले जाया गया । रविवार सुबह करीब 11 बजे उनकी अंतिम यात्रा मजदूर कुटिया से निकली, और करीब दो बजे ओबिसी भवन नगरोटा बगवां पहुंची, जहां लोगों के साथ साथ कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं ने भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद अंतिम संस्कार श्रीचामुंडा नंदिकेश्वर धाम में ले जाया गया । इससे पहले कांगड़ा में लोग उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे। लोगों ने नम आंखों से अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई दी। कांगड़ा से नगरोटा ले जाते समय रास्ते भर में लोगों ने जीएस बाली के अंतिम दर्शन किए। उनके अंतिम दर्शनों के लिए प्रदेश से नेता पहुंचे हैं। प्रदेश कांग्रेस के सह प्रभारी संजय दत्त, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौड़ सहित कई नेता जीएस बाली की अंत्येष्टि मे शामिल होने के लिए कांगड़ा आए ।जिला कांगड़ा के हितों की आवाज बुलंद करने वाला जबरदस्त नेता कांगड़ा ने खो दिया है। इस दौरान पूर्व मंत्री जीएस बाली के निधन से हर चेहरा गमगीन दिखा। स्वर्गीय वीरभद्र के पुत्र विक्रमादित्य सिंह, कैबिनेट मंत्री सरवीन चौधरी, आशा कुमारी, अरुण मैहरा, आशीष बुटेल, केवल पठानिया, अजय महाजन, चंद्र कुमार समेत कई नेताओं ने कांगड़ा पहुंच कर जीएस बाली के अंतिम दर्शन किए और उनके परिजनों को ढांढस बंधाया। दोपहर बाद तीन बजे चामुंडा में राजकीय सम्मान के साथ जीएस बाली अंतिम विदाई दी जाएगी। बता दें कि 29 अक्टूबर की रात पूर्व मंत्री जीएस बाली का निधन हो गया था। 30 अक्टूबर के तड़के सुबह उनके निधन की ख़बर मीडिया में आई। तब से लेकर प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई
स्थानीय नेता हों या फिर दिल्ली आलाकमान के दिग्गज नेता वे मजदूर कुटिया का रुख जरूर करते थे। बड़े-बड़े राष्ट्रीय स्तर के दिग्गजों के साथ बाली के मेल मिलाप जग जाहिर रहे हैं। 27 जुलाई 1954 को जन्मे जीएस बाली नगरोटा बगवां से चार बार विधायक और दो बार मंत्री रहे। बाली 1990 से 1997 तक कांग्रेस के विचार मंच के संयोजक, सेवादल के अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव जैसे पदों पर रहे। वर्ष 1998 में वह पहली बार नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद लगातार 2003, 2007 और 2012 में यहां से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे। 2003 और 2007 में वह मंत्री रहे। जब कांगड़ा के हितों की बात आई तो वह नेताओं से टकराने से भी पीछे नहीं हटते थे। मिलनसार बाली कांगड़ा से सीएम बनाने की पैरवी करते रहे। उनका मत था कि कांगड़ा का सीएम बनने से निचले क्षेत्रों का विकास होगा। लेकिन जीवित रहते उनकी यह हसरत पूरी न हो पाई।इलेक्ट्रिक बसें शुरू करने का निर्णय प्रदेश में प्रदूषण कम करने की दिशा में अहम माना गया। दिवंगत जीएस बाली ने इलेक्ट्रिक बसों का रोहतांग में भी सफल ट्रायल कराया। एचआरटीसी की बस पर अपना निजी नंबर लिखवाया और लोगों की दुःख तकलीफों में उनका साथ दिया।