

हिमालयन गद्दी यूनियन के ऐतिहासिक अघंजर महादेव मंदिर व इंदू्रनाग मंदिर की भूमि खनियारा में महासम्मेलन में अब महाआक्रोश को सड़कों पर उतारने का प्रण लिया गया है। वंचित उपजातियों के साथ मार्च तक गद्दी शब्द न जोडऩे पर प्रदेश सरकार को मार्च तक अल्टीमेटम भी महासम्मेलन में दे दिया गया है।
धर्मशाला | सन्नी महाजन
खनियारा के सोकणी द कोट पंचायत के अंबेडकर भवन में हिमालयन गद्दी यूनियन के फरवरी माह में चले जन जागरण अभियान के तहत महासम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें सैंकड़ों की संख्या में कांगड़ा-चंबा सहित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से गद्दी से वंचित उपजातियों के लोग पुरूष, महिलाएं, युवक व युवतियां मौजूद रहे। इस दौरान हिमालयन गद्दी यूनियन ने आने वाले समय में आंदोलन को अब तेज़ करने का ऐलान कर दिया है। महासम्मेलन में जुटी भीड़ से उत्साहित यूनियन ने मार्च माह के अंत में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक इद्रंूनाग मंदिर खनियारा मेले तक वंचित लोगों को गद्दी शब्द से न जोडऩे पर सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने का बिगुल बजा दिया है। इसके साथ ही हिमालयन गद्दी यूनियन के अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह, उपाध्यक्ष जागृत बंगवाल, पूर्व अध्यक्ष मंगत राम, पूर्व महासचिव राजकपूर, महासचिव अक्षय कुमार, विजय कुमार, प्रताप सिंह, तनू मस्ताना, देशराज अत्री, मीडिया प्रभारी मुनीष सहित दर्जनों पदाधिकारियों ने सैंकड़ों लोगों के साथ मिलकर आहवान किया है कि आने वाले समय में मांगों पर गंभीरता से विचार न किए जाने पर आंदोलन को उग्र करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से केंद्र सरकार, पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम जयराम ठाकुर सहित सरकार व अधिकारियों के समक्ष लगातार मांगें उठाई जा रही है। बाबजूद इसके अब निराश ही हाथ लग रही है, जोकि अब बर्दास्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुल 13 उपजातियों में से सात को भू-अभिलेख में गद्दी शब्द से जोड़ा गया है, जबकि छह उप-जातियों को छोड़ दिया गया है। ऐसे में अभिलेख में दरूस्ती किया जाना जरूरी है, जिससे वंचित लोगों को हक मिल सकें। उन्होंने कहा कि गद्दी जनजाति से वंचित उपजातियां हॉली, सिप्पी, बाड़ी, ढोगरी, लौहार व रिहाड़े को वंचित रखा गया है।