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राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द


शुक्रवार को धर्मशाला में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश का छठवां दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया जिसमें भारत के पहले नागरिक देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। विश्विद्यालय के कुलपति डॉ सत् प्रकाश बंसल ने राष्ट्रपति को चंबा थाल देकर सम्मानित किया हिमाचली रीति रिवाज से शॉल भेंट की इस अवसर पर 400 से ज्यादा मेधावी छात्रों को डिग्रियां आवंटित की गई। धर्मशाला में महाविद्यालय सभागार में आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के छठ में दीक्षांत समारोह में हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा युवा कार्यक्रम खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपनी गरिमामई उपस्थिति दी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए  तथा अपने अभिभाषण में कहा कि देव भूमि हिमाचल से उनका पुराना नाता रहा है और देवभूमि के प्राकृतिक सौंदर्य के बीच दीक्षांत समारोह के आयोजन का अंग बनकर उन्हें प्रसन्नता हुई है उन्होंने कहा कि वह 48 वर्ष पहले 1974 में पहली बार हिमाचल आए थे तथा स्नेहिल हिमाचली लोगों से मिलकर अभिभूत हुए थे उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की धरती वीरों और बलिदानी यों के साथ साथ शक्तिपीठों तथा आराधना का भी स्थल है। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर पुणे गर्व है तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सर्वप्रथम लागू करने में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के मार्गदर्शन से प्रदेश लगातार आगे बढ़ रहा है तथा आचार्य हरमोहिंदर सिंह बेदी के मार्गदर्शन से विश्वविद्यालय नए आयाम स्थापित कर रहा है। हिमाचल प्रदेश की उपलब्धियों को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि नीति आयोग द्वारा किए गए एसपीजी इंडेक्स में हिमाचल सर्वोच्च स्थान पर है तथा शिक्षा की गुणवत्ता पर देश भर में हिमाचल दूसरा स्थान का गौरव रखता है।  विश्वविद्यालय के 12 वर्ष पूरे होने पर राष्ट्रपति ने खुशी जताई तथा एल्यूमिनी एसोसिएशन को सशक्त करने पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रशासन को सुझाव दिया तथा कहा कि एल्यूमिनी एसोसिएशन की विश्वविद्यालय को सशक्त करने में अहम भूमिका होती है तथा साल 2 साल में एक बार केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों को एक साथ इकट्ठा होना चाहिए।  उन्होंने कहा कि शिक्षा का महत्व अन्य से भी ज्यादा होता है क्योंकि अन्य से केवल क्षण भर में तृप्ति होती है लेकिन शिक्षा से जीवन भर की तृप्ति होती है और शिक्षा ही देश के निर्माण का आधार होती है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को अहम बताया तथा कहा कि अगर किसी  क्षेत्र में महिलाओं को बराबर का मौका दिया जाए तो इसमें कोई संदेह नहीं कि महिलाएं बेहतर काम करती हैं और इसका उदाहरण स्वर्ण पदक ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राओं से ही ले सकते हैं जिसमें महिलाओं की भागीदारी दुगनी है। उन्होंने पुणे में भगवान दत्रोत्तय के मंदिर में अपनी यात्रा का अनुभव बताते हुए कहा कि भगवान दत्रोत्तय के 24 गुरु थे और हर गुरु से उन्होंने कुछ ना कुछ सीखा इसी तरह युवा वर्ग को भी निरंतर जीवन में सीखने की प्रेरणा लेनी चाहिए समाज का युवा वर्ग को सशक्त बनाने में अहम योगदान है तथा इस कर्ज को चुकाने के लिए युवाओं को हमेशा तैयार रहना चाहिए उन्होंने कहा कि उन्हें भारत के युवाओं पर पूरा भरोसा है कि भारत की नई पीढ़ी भारत को नहीं बुलंदियों तक पहुंचाएगी।



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