

चीन में तिब्बती स्कूलों में मैंडरिन भाषा की अनिवार्य
चीन में तिब्बती संस्कृति के प्रभाव को खत्म करने के लिए चीन आए दिन नए हथकंडे अपना रहा है. धर्मशाला में रह रहे तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की लोकप्रियता का इतना खौफ शायद ही चीन में पहले देखने को मिला हो. पूर्व चीन की सरकार तिब्बत में स्कूल जाने वाले छात्रों को सैन्य शिक्षा प्राप्त करने के लिए मजबूर कर रहा है। वह सैन्य शिक्षा की आड़ में इन छात्रों को कम्युनिस्ट विचारधारा को अपनाए जाने के लिए बाध्य कर रहा है। छात्रों को ल्हासा और कई अन्य क्षेत्रों में दक्षिणी तिब्बत के निंगत्री में स्थापित दो प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेने के लिए भेजा जा रहा है। इस नीति का विरोध करने पर चीन में दो छात्रों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. तिब्बती स्कूलों में मैंडरिन भाषा अनिवार्य करने पर तिब्बती छात्रों में काफी रोष है आलम यह रहा कि इस नीति को लेकर तिब्बत के स्कूलों में बगावत शुरू हो गई है नतीजा यह है कि नीति का विरोध करने पर 19 साल के 2 छात्रों को चीन के अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया.
सूत्रों के अनुसार चीन के कब्जे के कारण तिब्बत का पर्यावरण नष्ट हो गया है, संसाधनों का अवैध रूप से खनन और परिवहन किया गया है, जिसकी वजह से नदियां प्रदूषित हो गई हैं। चीन के कब्जे ने तिब्बतियों को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर दिया है और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की दमनकारी और कट्टरपंथी नीतियों के तहत तिब्बत के अंदर मानवाधिकार की स्थिति हर गुजरते साल बिगड़ती ही जा रही है।
तिब्बत विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की तिब्बत में सांस्कृतिक संबंधों को कमजोर करने की साजिश का यह एक हिस्सा है। तिब्बत के इन बच्चों के पास अब गर्मियों और सर्दियों की छुट्टी में सैन्य प्रशिक्षण में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। प्रशिक्षण के माध्यम से इन बच्चों का ब्रेनवाश किया जाएगा। ज्ञात हो कि तिब्बत में सांस्कृतिक विरासत को समाप्त करने के लिए चीन कई तरह की योजनाओं को अंजाम दे रहा है, जो तिब्बती भाषा के लिए खतरा बन जाएगा।